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पिता बस चला रहे थे तभी बेटी का फोन आया, ‘पापा, मैं Ias अफसर बन गई हूं’।

उनका कहना है कि अगर आपको मानव जीवन मिला है तो आपमें कोई न कोई गुण जरूर होगा। हर किसी की एक अलग प्रेरणादायक कहानी होती है। कुछ ऐसी ही कहानी है प्रीति हुड्डा की। जिनके पिता बस ड्राइवर हैं। जिन्होंने गांव से निकलकर आईएएस बनकर परिवार का नाम रौशन किया।


कौन हैं IAS प्रीति हुड्डा प्रीति हुड्डा
प्रीति हुड्डा बहादुरगढ़ हरियाणा की रहने वाली हैं। प्रीति बचपन से ही पढ़ाई में अच्छी थी। उसने (आईएएस प्रीति हुड्डा) हाई स्कूल में 77 फीसदी और इंटरमीडिएट में 87 फीसदी अंक हासिल किए थे। इंटरमीडिएट में अच्छे अंक होने के कारण उनके परिवार के सदस्यों ने उन्हें आगे की पढ़ाई करने की अनुमति दी। उन्होंने दिल्ली के लक्ष्मी बाई कॉलेज से हिंदी में स्नातक की पढ़ाई पूरी की।

जवाहरलाल नेहरू (JNU) विश्वविद्यालय से स्नातक किया
प्रीति इंटरव्यू में बताती हैं कि उनका कहना परिवार एक संयुक्त परिवार है। वह एक ही परिवार में पली-बढ़ी। वह आगे बताती हैं कि उनके गांव के लोग लड़कियों की शिक्षा के लिए ज्यादा प्रयास नहीं करते हैं। उन्हें लगता है कि उन्हें किसी तरह इंटरमीडिएट या ग्रेजुएशन करना चाहिए और फिर उनकी शादी कर देनी चाहिए।

प्रीति अपने आस-पास ऐसा माहौल देखकर डर गई थी कि जल्द ही उसकी शादी हो सकती है। लेकिन उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों से आगे पढ़ने की इच्छा व्यक्त की। इस पर उनके पिता राजी हो गए। प्रीति बताती है कि उसे (बस ड्राइवर बेटी प्रीति हुड्डा) इंटरमीडिएट के दौरान आईएएस के बारे में ज्यादा पता भी नहीं था। ग्रेजुएशन के दौरान उनके दोस्तों ने उन्हें आईएएस परीक्षा के बारे में बताया। इसके बाद उन्होंने आईएएस अधिकारी बनने का फैसला किया।


इसके लिए उसने अपने पिता से बात की। उसके पिता ने उससे कहा कि जो तुम्हें अच्छा लगे वही करो। पिता के इस बयान से प्रीति बेहद खुश हुई। प्रीति ने पूरे मन से आईएएस की तैयारी शुरू कर दी थी। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में उन्होंने हिंदी में पीएचडी में प्रवेश लिया। जेएनयू जाने के बाद उन्होंने पूरी मेहनत और लगन से आईएएस की तैयारी शुरू कर दी।

प्रीति बताती हैं कि जेएनयू उन छात्रों के जीवन की तरह है। जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। उन्होंने बताया कि जेएनयू में पढ़ाई-लिखाई का बेहद शानदार माहौल है. आपको वहां पढ़ने के लिए एक अलग ही सकारात्मकता मिलती है।”

साक्षात्कार प्रक्रिया क्या है
प्रीति ने एक मीडिया संगठन से बातचीत के दौरान बताया था कि उनका यूपीएससी परीक्षा का इंटरव्यू करीब 35 मिनट तक चला था। इस दौरान उनसे करीब 30 सवाल पूछे गए। प्रीति की खास बात यह थी कि उन्होंने प्रीलिम्स से लेकर इंटरव्यू तक सभी परीक्षाएं हिंदी माध्यम से दीं। उनका मूल विषय भी हिन्दी ही था। प्रीति 30 में से 27 प्रश्नों का उत्तर देने में सक्षम थी और 3 प्रश्नों का उत्तर नहीं दे सकी। लेकिन उनका हौंसला कम नहीं हुआ। इंटरव्यू के दौरान उनसे कई तरह के सवाल किए गए। घर-परिवार, सामाजिक मुद्दे, जेएनयू, आर्थिक मुद्दे, अंतरराष्ट्रीय संबंध आदि। उन्होंने सभी सवालों के जवाब बड़ी बेबाकी से दिए।

बस चलाते समय पिता को सफलता की खुशखबरी दी गई।
प्रीति बताती हैं कि जब उनकी यूपीएससी की परीक्षा 288वीं रैंक के साथ पास हुई थी। तो वह बहुत खुश हुई, उसने सबसे पहले यह जानकारी अपने पिता को सुनाई। उस समय उनके पिता (डीटीसी) दिल्ली के लिए बस चला रहे थे। उस समय उसके पिता ने उसे बस में कहा- ‘अच्छा किया मेरे बेटे’।

प्रीति के लिए ये सबसे गर्व की छड़ें थीं। उनकी इस सफलता ने पूरे देश में उनका और उनके परिवार का नाम रोशन कर दिया। उन्होंने उन लोगों को यह संदेश भी दिया कि लड़कियां सिर्फ घर और किचन तक ही सीमित नहीं हैं। वह देश भर में समान रूप से और कंधे से कंधा मिलाकर चलने में सक्षम है।

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