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अपेंडिसाइटिस (अपेंडिक्स) के क्या कारण होते हैं, महिलाएं ओर पुरषों मे क्या होता इसका कारण? जानें इसके लक्षण और इलाज

अपेंडिक्स में होने वाले इन्फेक्शन को अपेंडिसाइटिस कहा जाता है। फोर्टिस हॉस्पिटल के लिवर ट्रांसप्लांट और जी आई सर्जरी विभाग के डायरेक्टर व चेयरमैन, डॉक्टर विवेक विज का कहना है कि असल में अपेंडिक्स का हमारे शरीर में क्या रोल है यह अभी पूरी तरीके से नहीं मालूम। हालांकि कुछ रिसर्च इसे अच्छे बैक्टीरिया का स्टोर हाउस भी बोलती हैं। अपेंडिसाइटिस एक मेडिकल स्थिति होती है और इसे जल्द से जल्द मेडिकल सर्जरी के माध्यम से निकाला जाता है। बहुत सी स्थिति में इसके फटने का डर भी रहता है। असल में जब यह इसके फटने से पेट में संक्रमण फैल सकता है। डॉक्टर के अनुसार बच्चे हों या बड़े उनको अपेंडिसाइटिस की समस्या हो सकती है। लेकिन छोटे बच्चे या शिशुओं के मुकाबले बड़े बच्चे या टीनएजर्स में इसके होने की संभावना अधिक है।


अधिकांश बच्चों में पेट में दर्द अपेंडिसाइटिस का पहला और मुख्य लक्षण है। जो कि निचले पेट, नाभि बटन के चारों ओर से शुरू होकर दाई और निचले पेट की तरफ घूमता है। जबकि कुछ बच्चों में यह दर्द शुरू ही पेट के दाईं तरफ से होता है। चलने, खांसने, छींकने, गहरी सांस लेने आदि में आपके बच्चे को इस तरह का दर्द महसूस हो सकता है। जो कि बताता है कि अपेंडिक्स टूटने वाला है।

अपेंडिसाइटिस के अन्य लक्षण (Other Symptoms Of Appendicitis)

जी मिचलाना
उल्टियां आना
बुखार हो जाना
ठंड लगना
भूख न लगना
दस्त लगना या कब्ज होना
व्यवहार में बदलाव देखने को मिलना


इन लक्षणों की गंभीरता हर बच्चे में अलग अलग देखने को मिल सकती है। यदि आप को इनमें से कोई सा भी एक लक्षण देखने को मिले तो आप, बच्चे को डॉक्टर के पास ले कर जायें। डॉक्टर आपके बच्चे की इस स्थिति को अच्छे से चेकअप करेंगे।

अपेंडिसाइटिस की पहचान के लिए जांच (How To Diagnose Appendicitis)

एब्डोमिनल अल्ट्रासाउंड : जिस बच्चे के लक्षण अपेंडिसाइटिस वाले होते हैं उनके ऊपर सबसे पहले यह टेस्ट करके देखा जाता है। इससे अपेंडिक्स की स्थिति को अच्छे से देख कर उसे जज किया जा सकता है। साथ ही उसके बदलावों को पहचाना जा सकता है।

सीटी स्कैन : अगर अल्ट्रासाउंड के द्वारा अपेंडिक्स में बदलाव का पता नहीं चलता है तो फिर सीटी स्कैन किया जाता है। सीटी स्कैन किसी भी सर्जरी जैसी प्रक्रिया के पहले भी किया जा सकता है।

लेपरास्कोपिक अपेंडेक्टोमी : यह एक खास प्रकार का टूल होता है। जो एक कैमरे के माध्यम से अपेंडिक्स को निकालने में मदद करता है। इस प्रक्रिया को करते समय मरीज को एनिस्थिसिया दे दिया जाता है और ब्लैडर के पास एक कट किया जाता है। वहीं से अपेंडिक्स को निकाला जाता है।

यूरिन टेस्ट : इस टेस्ट के माध्यम से किडनी या ब्लैडर में पाए जाने वाले संक्रमण का पता लगाया जा सकता है।

ट्रेडिशनल या ओपन सर्जरी : इस प्रक्रिया में भी पेट की दीवारों में एक कट लगाकर की जाती है और वहां से ही अपेंडिक्स को निकाला जाता है। एब्डोमिनल कैविटी से फ्लूइड आदि को निकालने के लिए कुछ दिनों तक कुछ ट्यूब भी अंदर डाल दी जाती हैं।

अगर आप अपने बच्चे को इस स्थिति में नहीं आने देना चाहते हैं तो आप को सुनिश्चित करना चाहिए कि वह फाइबर से युक्त भरपूर डाइट ले रहे हैं। खूब सारे फल और सब्जियां खा रहे हैं। होल ग्रेन को खाने से भी अपेंडिसाइटिस का रिस्क बहुत कम होता है। अगर तुरंत मेडिकल मदद प्रदान की जाए तो भी इस स्थिति से जल्द से जल्द बाहर निकला जा सकता है।

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