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एक छोटे से गांव की वंदना, जिसे लड़की होने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ा, अब बन गई है आईएएस

हम जानते हैं कि आज भी कई लोग लड़कियों को घर की चार दीवारी में ही बांधकर रखना चाहते हैं। वहीं कुछ लोग लड़कियों को पढ़ाना भी जरूरी नहीं समझते। लेकिन साथ ही कुछ लड़कियां ऐसी भी हैं जो समाज के रूढ़िवादी विचारों को छोड़कर आगे बढ़ रही हैं और अपने सपनों को पूरा कर रही हैं। आज हम आपको एक ऐसी महिला अधिकारी के बारे में बताने जा रहे हैं।


इस महिला अधिकारी का नाम वंदना है. वंदना आज आईएएस ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं। लेकिन वंदना के लिए यहां आना आसान नहीं था. इस मुकाम को हासिल करने के लिए उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। वंदना को लड़की होने का खामियाजा भी भुगतना पड़ा। लेकिन वंदना ने हार नहीं मानी और आज सबके लिए प्रेरणा बन गई हैं। आइए जानते हैं वंदना के बारे में।

वंदना हरियाणा की रहने वाली हैं

हम जानते हैं कि आज के दौर में महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं. लेकिन आज भी कुछ जगह ऐसी हैं जहां लड़कियों को बोझ समझा जाता है और कम उम्र में ही उनकी शादी कर दी जाती है। लेकिन आज एक ऐसी महिला अफसर की कहानी जो आज कई महिलाओं के लिए मिसाल बन गई है. ये महिला अधिकारी कोई और नहीं बल्कि IAS वंदना हैं।

वंदना हरियाणा के एक छोटे से गांव नसरुल्लागढ़ की रहने वाली हैं। वंदना का जन्म एक ऐसे परिवार और जगह में हुआ था जहां महिलाएं ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हैं। ऐसे में वंदना के लिए कामयाबी पाना बेहद मुश्किल था, लेकिन किसी ने सच ही कहा है कि अगर जिंदगी में कुछ करने की चाह हो तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है. वंदना ने इस समाज को अपनी काबिलियत से जवाब दिया और साबित कर दिया कि महिलाएं भी हर क्षेत्र में आगे बढ़ सकती हैं।


वंदना के परिवार ने किया सपोर्ट

दरअसल जिस परिवार और गांव में वंदना का जन्म हुआ, वहां महिलाओं की पढ़ाई-लिखाई पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता। वंदना ने आईएएस ऑफिसर बनने का सपना देखा था लेकिन इस सपने को पूरा करना उनके लिए आसान नहीं था। उनके गाँव में कोई अच्छा स्कूल नहीं था, इसलिए वंदना हमेशा अपने पिता से उन्हें बाहर पढ़ने के लिए भेजने के लिए कहती थी। लेकिन वंदना के पिता भी सोचते थे कि लड़कियों को पढ़ाने के लिए बाहर भेजना ठीक नहीं है।

लेकिन एक दिन वंदना ने गुस्से में अपने पिता से कहा कि “वे जानते हैं कि वे उसे पढ़ने के लिए नहीं भेज रहे हैं क्योंकि वह एक लड़की है” वंदना ने उसके पिता को अंदर तक हिला दिया। इसके बाद वंदना के पिता ने भी अपनी बेटी को बाहर पढ़ने के लिए भेज दिया। इसके लिए मुरादाबाद के गुरुकुल में वंदना भेजी गई।

मेहनत से पढ़ाई

गुरुकुल में वंदना सभी नियमों का बखूबी पालन करती थी। वह रोज सुबह जल्दी उठ जाती थी और कपड़े धोने, सफाई करने जैसे अपने काम खुद करती थी। वहां उसने खाना बनाने में भी मदद की। इसके साथ ही वंदना ने अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान दिया। गुरुकुल से पढ़ाई पूरी करने के बाद वंदना ने कानून की पढ़ाई शुरू की।

उन्होंने जैसी तपस्या की थी, वैसी ही पढ़ाई की थी। कभी 20 घंटे तो कभी इससे भी ज्यादा पढ़ाई करती थी। उसने खुद को कमरे में बंद कर लिया था। इसके साथ ही वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रही थी। वंदना ने कमरे में कूलर भी नहीं लगाया ताकि ठंड में उन्हें नींद न आए। उसने अपने कई दोस्त भी नहीं बनाए। वहीं उन्हें सही सलाह देने वाला कोई नहीं था इसलिए वंदना ने अपने दम पर यह मुकाम हासिल किया।

इसके बाद वंदना ने 2012 में सिविल सेवा की परीक्षा दी जिसमें उन्हें 8वीं रैंक मिली। वहीं खास बात यह थी कि उन्होंने यह परीक्षा हिंदी माध्यम से लिखी थी। वंदना पर आज सभी को गर्व है।

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