आईआईटी से पद्म भूषण पुरस्कार तक का सफर: जानिए गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई की सफलता और संघर्ष की कहानी
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई को मिला पद्म भूषण गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में देश का नाम रौशन करने वाले लोगों को नागरिक सम्मान देने की घोषणा की है. इसमें भारत सरकार ने गूगल के पहले भारतीय सीईओ सुंदर पिचाई को पद्म भूषण देने की घोषणा की है। तमिलनाडु में जन्में सुंदर पिचाई साल 2015 में दुनिया की अग्रणी आईटी कंपनी गूगल के सीईओ बने थे। वह भारतीय मूल के पहले नागरिक थे जिन्हें गूगल में सबसे बड़ी जिम्मेदारी मिली थी। कड़ी मशक्कत के बाद उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है।

भारत सरकार ने गूगल के पहले भारतीय सीईओ सुंदर पिचाई को पद्म भूषण से सम्मानित करने की घोषणा की है। सुंदर पिचाई उन 17 लोगों में से एक हैं जिन्हें यह सम्मान दिया जाएगा। सुंदर पिचाई को यह सम्मान व्यापार और उद्योग की श्रेणी में उनके उल्लेखनीय योगदान को ध्यान में रखते हुए दिया गया है।

तमिलनाडु में जन्में सुंदर पिचाई साल 2015 में दुनिया की अग्रणी आईटी कंपनी गूगल के सीईओ बने थे। वह भारतीय मूल के पहले नागरिक थे जिन्हें गूगल में सबसे बड़ी जिम्मेदारी मिली थी। गूगल की को-फाउंडर लॉरी पेज ने सुंदर पिचाई को गूगल का सीईओ घोषित करते हुए कहा कि मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि हमारे बीच ऐसा प्रतिभाशाली व्यक्ति है।

सुंदर पिचाई का जन्म तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में हुआ था। एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे सुंदर पिचाई के पिता एक इलेक्ट्रिक इंजीनियर थे लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वह उन्हें बेहतर शिक्षा नहीं दे पाए। सुंदर पिचाई ने 1993 में आईआईटी खड़गपुर से बीटेक किया। इसके बाद स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमएस और व्हार्टन स्कूल से एमबीए किया। व्हार्टन स्कूल में पढ़ते समय उन्हें दो छात्रवृत्तियां मिलीं।

सुंदर पिचाई साल 2004 में गूगल से जुड़े। जहां उन्होंने गूगल टूलबार और क्रोम को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई। कुछ ही वर्षों में, Google Chrome दुनिया का सबसे लोकप्रिय इंटरनेट ब्राउज़र बन गया। 2014 में, उन्हें सभी Google उत्पादों और प्लेटफार्मों से संबंधित महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इस दौरान वे लोकप्रिय उत्पादों जैसे गूगल टूलबार, क्रोम, डेस्कटॉप सर्च, गैजेट्स, गूगल पैक, गूगल गियर्स, फायरफॉक्स एक्सटेंशन आदि के प्रभारी थे।
फिर साल 2015 में वो समय आया जब उन्हें Google का CEO बनाया गया। इसके बाद जुलाई 2017 में सुंदर पिचाई Google की मूल कंपनी Alphabet के निदेशक मंडल में शामिल हो गए। पिछले 15 सालों में सुंदर पिचाई ने गूगल में काम करके कई बेहतरीन प्रोडक्ट्स डेवलप किए।
भारत के साथ सुंदर पिचाई के रिश्ते
कुछ साल पहले बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में सुंदर पिचाई ने कहा था कि, मैं एक अमेरिकी नागरिक हूं लेकिन भारत मेरे अंदर गहराई में है.
2020 के यूट्यूब डियर क्लास वर्चुअल सेरेमनी में सुंदर पिचाई ने कहा था कि, जब मुझे अपना बचपन याद आता है, तो मुझे एहसास होता है कि उस समय हम टेक्नोलॉजी का इतना इस्तेमाल नहीं कर सकते थे। मुझे 10 साल की उम्र तक टेलीफोन नहीं मिला। जब तक मैं अमेरिका नहीं आया तब तक मुझे नियमित रूप से कंप्यूटर पर काम करने का मौका नहीं मिला। वहीं टीवी पर हमें एक ही चैनल देखने को मिलता था।
वहीं अपने परिवार के आर्थिक संकट के दिनों को याद करते हुए सुंदर पिचाई ने कहा कि, मुझे अमेरिका आने के लिए अपने पिता का एक साल का वेतन खर्च करना पड़ा, तभी मैं स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी पहुंच सका. इस समय मैं पहली बार प्लेन में बैठा था.. अमेरिका बहुत महंगा था. भारत में घर पर फोन कॉल सेट करने के लिए 1 मिनट के लिए 2 अमेरिकी डॉलर से ज्यादा का भुगतान करना पड़ता था। उन्होंने छात्रों को संदेश देते हुए कहा, खुले दिमाग से जिएं, धैर्य रखें और आशावादी बनें।