14 साल बाद छलका युवराज सिंह का दर्द, कहा ‘मैं था कप्तानी का दावेदार लेकिन धोनी नहीं’
2007 का कप युवराज सिंह के लिए बेहद यादगार रहा था. उस वर्ल्ड कप में युवराज सिंह ने इंग्लैंड के खिलाफ मात्र 12 बॉल में ही अर्धशतक जड़ने का कारनामा भी अपने नाम भी किया था। इसी पारी के दौरान उन्होंने स्टुअर्ट ब्रॉड को एक ही ओवर में ही 6 छक्के जड़े थे। सेमीफाइनल में भी उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 70 रन की विस्फोटक पारी खेल भारतीय टीम को फाइनल में भी पहुंचाया था।
युवराज बोले, टी-20 विश्व कप में कप्तान बनने की थी उम्मीद

इसी बीच युवराज सिंह का वर्षों बाद एक बड़ा बयान भी आया है, जिसमे उनका कप्तानी ना मिलने का दर्द छलका है. दरअसल, उनका मानना है कि टी-20 विश्व कप 2007 में उन्हें लग रहा था कि वह कप्तानी मिलना डिजर्व ही करते हैं। लेकिन भारतीय चयनकर्ताओं ने उन्हें छोडकर महेंद्र सिंह धोनी को कप्तानी दे दी थी।
22 यार्न्स पोडकास्ट पर बात करते हुए युवराज सिंह ने अपने बयान में कहा, “उस साल भारत पहले ही 50 ओवर वर्ल्ड कप में बुरी तरह हारकर बाहर ही हुआ था, राइट? मेरा मतलब है तब भारतीय टीम में काफी खलबली भी मच गई थी और इसके बाद भारत का दो महीने लंबा इंग्लैंड का दौरा भी था। इसके बाद एक महीने का दौरा साउथ अफ्रीका और आयरलैंड का भी था। तब टी-20 वर्ल्ड कप भी एक महीने लंबा शेड्यूल ही था। तो ऐसे में 4 महीने घर से बाहर का दौरा था.”
उम्मीद थी मुझे कप्तानी मिलेगी
युवराज ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “तब सीनियर खिलाड़ियों ने सोचा की उन्हें क्रिकेट से थोड़ा ब्रेक भी चाहिए और तब कोई भी टी-20 वर्ल्ड कप को गंभीरता से भी नहीं ले रहा था. ऐसे में मैं उम्मीद कर रहा था कि टी-20 वर्ल्ड कप में मुझे भारत की कप्तानी तो मिलेगी। लेकिन जब घोषणा हुई तो धोनी कप्तान थे.”

हां, यह स्वभाविक है कि जो भी टीम का कप्तान बने आपको उसे समर्थन देना ही होता है। चाहे वह राहुल द्रविड़, चाहे यह सौरव गांगुली हों, या भविष्य में कोई भी ओर हो, आखिरकार आप एक टीम मैन रहना चाहते हो ऐसा ही मैं भी था।”