मिलिए बेंगलुरु की यूट्यूबर से, 100 वर्ग फुट में उगाती हैं 200 से भी ज़्यादा फल और सब्ज़ियाँ
मेरी दादी माँ अक्सर कहती थीं कि, हॉबी और करियर एक नहीं हो सकते। यदि ऐसा होता तो, वह शायद ज़िंदगी भर कढ़ाई-बुनाई ही करतीं रहती। पुराने सिक्के जमा करतीं! हाँ, एक ज़माना था, जब लोगों को लगता था कि, पैसे सिर्फ़ इंजीनियर, डॉक्टर और बैंकर जैसे पारंपरिक पेशों को सिर्फ अपना कर ही कमाया जा सकता है। लेकिन वक़्त के बदलाव और लोगों की जिज्ञासा ने मार्केट में कई तरह के डिमांड भी आज कल पैदा किये और आज आप ऐसे कई लोगों को देखेंगे जो अपनी हॉबी को ही अपना करियर बनाकर लाखों रुपए कमा रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं — कोई घूम कर पैसे कमाता है तो कोई वीडियो बना कर।

बेंगलुरु की स्वाति द्विवेदी उन्हीं उत्साही लोगों में से हैं एक है जो अपनी हॉबी को ही अपना करियर, प्रोफेशन और पैशन बनाकर आगे बढ़ रही हैं।

लखनऊ में पली-बड़ी स्वाति आज से 11 साल पहले ही शादी के बाद बेंगलुरु आईं थी। एमबीए की डिग्री के साथ उन्होंने एक्सेंचर और आईबीएम जैसी कई बड़ी कंपनियों में बतौर एचआर (HR) के रूप में काम किया। लेकिन बेटे के जन्म के बाद अपने बच्चे और परिवार पर फोकस करने के लिए उन्होंने अपना जॉब पूरी तरह छोड़ दिया।

स्वाति को बचपन से गार्डनिंग का बहुत ज्यादा शौक था। अपने जेब ख़र्च में से पैसे बचाकर तरह-तरह के पौधे लेकर आती ओर उनको गर मै लगती थीं। अपनी जॉब के दौरान भी घर के कोनों को हरी पत्तियों से सजाना उन्होने कभी नहीं छोड़ा। अपने दोस्तों के बीच ‘माली काका’ नाम से प्रसिद्ध स्वाति जब अपने परिवार के साथ ख़ुद के घर में शिफ्ट हुई तब उन्होंने अपने इस हॉबी के एक्सपेरिमेंट करने का सोचा।

स्वाति ने अपने बैक गार्डन को किचन गार्डन स्पेस बनाने का निश्चय अब किया और सामने के गार्डन में कई तरह के फूल-पौधे उगाने भी शुरू कर दिए। एक वक़्त के बाद स्वाति के बैक गार्डन के उत्पाद इतने बढ़िया और ज़्यादा होने लगे कि उन्होंने उसे अपने पड़ोसियों के साथ भी अब शेयर करना शुरू भी कर दिया।
लोग उनसे बढ़ती सब्जियों और अन्य पौधों के लिए टिप्स भी पूछने लगे और साथ ही उन्हें यूट्यूब पर अपना चैनल शुरू करने का सुझाव भी देने लगे। स्वाति ने लोगों की बढ़ती दिलचस्पी को ध्यान रखते हुए अपना चैनल ‘बैकयार्ड गार्डनिंग’ तब जाकर शुरू किया। उन्हें वीडियो बनाने और चैनल प्रोमोशन का कुछ ख़ास आइडिया तो बिल्कुल भी नहीं था इसलिए शुरुआत में उन्हें काफ़ी कुछ सीखना भी पड़ा। जब भी उन्हें फुर्सत मिलता, वह वीडियो बना लिया करती थी। वक़्त के साथ उन्हें यूट्यूब मार्केटिंग के बढ़िया टैक्टिस समझ आने लगे और वह वीडियो बनाती भी चली गयी।