खबरे

HALDIRAM नाश्ते की दुकान से भारत का सबसे पसंदीदा स्नैक्स बनने तक का सफर

आपने कभी न कभी हल्दीराम (Haldiram’s) आलू की भुजिया या मिठाई का स्वाद तो ज़रूर चखा होगा, जो आज भारत का जाना माना ब्रांड बन चुका है। क्या आप जानते हैं कि हल्दीराम ने फ़र्श से अर्श तक का सफ़र कैसे तय किया है और आज जिस मुकाम पर यह कंपनी है, उसकी नींव कब रखी गई होगी।

अगर नहीं… तो आज हम आपको भारत के सबसे मशहूर ब्रांड की कामयाबी से जुड़ी अनोखी कहानी बताने जा रहे हैं, जिसे पढ़ने के बाद यकीनन आपको भी एक भारतीय होने पर गर्व होगा।

एक छोटी-सी दुकान से हल्दीराम (Haldiram’s) तक का सफर

भारत में हल्दीराम ब्रांड (Haldiram’s Brand) का इतिहास कोई आज या कल का नहीं, बल्कि स्वतंत्रता से भी कई ज़्यादा पुराना है। इस ब्रांड की नींव आज से तकरीबन 79 साल पहले 1937 में बीकानेर में रखी गई थी, हालांकि उस समय इसे नाश्ते की एक छोटी-सी दुकाने के रूप में खोला गया था।

गंगाविषण अग्रवाल जी (Ganga Bishan Agarwal) ने बीकानेर में एक छोटी-सी नाश्ते की दुकान खोली थी, जिसके जरिए वह व्यापार में क़दम रखना चाहते थे। इस तरह कुछ ही दिनों में गंगाविषण जी की दुकान बीकानेर में भुजियावाले के नाम से मशहूर हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने अपनी दुकान का नाम हल्दीराम रख दिया था।

दरअसल ‘हल्दीराम’ गंगाविषण जी का दूसरा नाम था, ऐसे में वह घर-घर तक अपनी पहुँच बनाने के लिए दुकान का एक बेहतरीन नाम रखना चाहते थे। हल्दीराम ने देखते ही देखते पूरे बीकानेर में आलू भुजिया समेत दूसरे प्रकार की नमकीनों का व्यापार शुरू कर दिया था, जिसके बाद देखते ही देखते देश भर में इस ब्रांड की चर्चा होने लगी।

भुजियावाले के रूप में पाई प्रसिद्ध

हल्दीराम एक मशहूर दुकान और ब्रांड के रूप में तो लोगों के बीच मशहूर हो चुकी थी, लेकिन उसका सफ़र अभी भी बाक़ी था। ऐसे में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए हल्दीराम ने दिल्ली समेत देश के अलग-अलग राज्यों में आउट लेट्स की नींव रख दी। इस तरह हल्दीराम ने बीकानेर से दिल्ली तक का सफ़र तय कर लिया, जिसकी पहुँच कुछ ही सालों में अमेरिका तक हो गई थी।

हल्दीराम कंपनी ने अपना पहला मैन्युफैक्चरिंग प्लांट पश्चिम बंगाल के कोलकाता में शुरू किया गया था। इसके बाद साल 1970 में जयपुर और फिर साल 1982 में देश की राजधानी दिल्ली में हल्दीराम ने अपने आउट लेट्स शुरू किए।

इस तरह महज़ कुछ ही सालों के बिजनेस के बाद साल 2003 में हल्दीराम ने अमेरिका में अपने उत्पादों का निर्यात शुरू कर दिया, जिसकी वज़ह से हल्दीराम ने मुनाफे के साथ-साथ ख़ूब नाम भी कमाया। वर्तमान में हल्दीराम 100 से भी ज़्यादा अलग-अलग उत्पादनों का निर्माण करता है, जिन्हें दुनिया भर के 80 से भी ज़्यादा देशों में निर्यात किया जाता है।

जब हल्दीराम को सहन करना पड़ा था घाटा

बीकानेर से दिल्ली और फिर पूरे विश्व भर में अपनी भुजिया और उत्पादों से पहचान बनाने वाले हल्दीराम को साल 2015 में एक बढ़ा झटका, जब अमेरिका ने हल्दीराम के उत्पादों पर रोक लगा दी थी। दरअसल अमेरिका का कहना था कि हल्दीराम के उत्पादों में कीटनाशक का इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी वज़ह से उन्होंने हल्दीराम के प्रोडक्ट्स आयात करने से साफ़ इंकार कर दिया था।

हालांकि अमेरिका द्वारा हल्दीराम के प्रोडक्ट्स पर रोक लगाए जाने के बावजूद भी इस कंपनी ने विश्व भर में अपनी पहचान और जगह को क़ायम रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हल्दीराम ने अपने उत्पादों के जरिए नेशनल लेवल पर ही नहीं बल्कि इंटरनेशनल लेवल पर लोगों की चाय का स्वाद बढ़ाने का काम किया है।

आज हल्दी राम का बिजनेस तीन अलग-अलग भौगोलिक आधार वाली इकाइयों में बांटा जा चुका है, ताकि कंपनी ज़्यादा से ज्याद ग्राहकों तक पहुँच सके और अधिक मुनाफा कमा सके। साल 2013 से 2014 के बीच हल्दी राम का उत्तर भारत में मैन्युफैक्चरिंग रेवेन्यू 2,100 करोड़ रुपए था।

इसके अलावा वेस्ट और साउथ इंडिया में हल्दीराम के प्रोडक्ट्स की सालाना सेल 1, 225 करोड़ रुपए रही, जबकि पूर्वी भारत में हल्दीराम ने 210 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाने में सफलता हासिल की। साल 2019 में हल्दीराम का रेवेन्यू 7, 130 करोड़ रुपए यानी 1.0 बिलियन डॉलर्स था, इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हल्दीराम पूरे भारत वर्ष में कितना ज़्यादा लोकप्रिय ब्रांड है।

हल्दीराम के विभिन्न प्रोडक्ट्स

हल्दीराम की शुरुआत भले ही एक छोटी-सी दुकान और भुजियावाले के रूप में हुई हो, लेकिन आज यह कंपनी अपने ग्राहकों को कई तरह के खाद्य पदार्थ उपलब्ध करवाती है। हल्दीराम अपने प्रोडक्ट्स के निर्माण के लिए सालाना 3.8 अरब लीटर दूध, 80 करोड़ किलोग्राम मक्खन, 62 लाख किलोग्राम आलू और 60 लाख किलोग्राम देशी घी की खपत करता है।

इस ब्रांड के तहत लोगों को सिर्फ़ आलू भुजिया ही नहीं बल्कि अलग-अलग मिठाईयाँ, कचौड़ी, फूड आइटम्स और नमकीन समेत 400 से ज़्यादा खाद्य पदार्थों का स्वाद चखने को मिलता है। हल्दीराम अपने ग्राहकों को कम पैसों में अच्छी गुणवत्ता वाला भोजन उपलब्ध करवाने के लिए जाना जाता है, जिसके अकेले उत्तर भारत में ही 50 से ज़्यादा आउट लेट्स मौजूद हैं।

हल्दीराम की कामयाबी (Success Story of Haldiram’s) को देखकर यह कहना ग़लत नहीं होगा कि अगर इंसान कुछ करने की ठान ले, तो उसकी मेहनत ज़रूरी रंग लाती है। आज हल्दीराम भारत के सबसे प्रसिद्ध ब्रांड्स में से एक है, जिसकी भुजिया या मिठाई का स्वाद आपने भी ज़रूर चखा होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *