‘बिग बॉस’ की वह कंटेस्टेंट, जिसे पैदा होते ही जिंदा गाड़ दिया गया था, लोग बुलाते थे ‘डायन’
Delhi: एक समय था जब भ्रूण हत्या या जन्म के बाद लड़की हुई तो उसे मार देना भी एक प्रथा थी। कुछ सालों पहले तक राजस्थान के कई इलाकों में ये आम बात थी। कुछ ऐसे ही एक परिवार में तीन भाई और तीन बहनों के बाद फिर लड़की हुई तो उसे मार देना ही बेहतर समझा गया। मनुष्यता का स्तर इतने नीचे तक गिर गया कि लड़की को जिंदा ही समाज के कुछ लोगों ने दफना दिया। एक ओर जन्म देने वाली बेसुध मां को कुछ पता ही नहीं और पिता घर पर मौजूद ही नहीं थे।
बात खुलकर जब सामने आई तो समाज के ठेकेदारों से उस मां ने पूछा बस इतना बता दो मेरी बेटी को कहां दफनाया गया है। मैं देखना चाहती हूं वह जिंदा है या मर गई। कहते हैं न ऊपर वाले की मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता है और यह तो एक नन्ही जान थी। ये एक चमत्कार ही था कि जब मां ने बेटी को मिट्टी से बाहर निकाला तब उसकी सांसे चल रही थी। आज आलम ये है कि वह बच्ची उसी समाज की पहचान बन गई है। वह और कोई नहीं बल्कि राजस्थान की प्रसिद्ध कालबेलिया कलाकार पद्मश्री गुलाबो सपेरा (Padmashree Gulabo Sapera) हैं।
दरअसल गुलाबो घुमंतू समुदाय से हैं और उस समुदाय में लड़कियों का पैदा होना अच्छी बात नहीं मानी जाती। ‘बीबीसी’ को दिए एक इंटरव्यू में गुलाबो सपेरा ने कहा था, ‘घुमंतू समुदाय के हैं तो वहां लड़की पैदा होना अच्छी बात नहीं मानी जाती। उसकी सुरक्षा को लेकर चिंता, पालने से लेकर शादी में खर्चा, यह सब फालतू माना जाता है। इसीलिए वहां के लोग बेटी को पैदा होते ही जमीन में जिंदा गाड़ देते हैं ताकि वह धीरे-धीरे मर जाए। कई बार तो गड्ढा खोदकर उस पर घास डालकर बेटी को मरने के लिए छोड़ देते हैं।’
मां यह सब चीजें नहीं मानती थी और इसलिए गुलाबो को घर ले आई व अपनी तीन अन्य बेटियों के साथ पाला। गुलाबो के पिता बेटियों से बहुत प्यार करते थे। उनकी तीन बेटियां थीं। चूंकि वह देवी मां के उपासक थे, इसलिए बेटियों को उनका ही रूप मानते थे। वह सांपों को नचाने का काम करते थे। गुलाबो के पिता को डर था कि कहीं कोई उनकी बेटी को मार न दे, इसलिए वह जब सांप नचाने जाते तो गुलाबो को भी साथ ले जाते थे। गुलाबो ने सांपों के साथ नाचना सीख लिया। गांव-गांव जाकर पापा सांप नचाते तो गुलाबो भी साथ जातीं और शरीर पर सांप लपेटकर सांप की तरह ही कालबेलिया डांस करतीं।
Festivities in Rajasmand concluded on the Third and final day of the #KumbhalgarhFestival. The night arrived with its own colours as performances by Ms. Reela Hota & Group and Gulabo Sapera & Group served as a perfect coda to the ecstatic festival.#FestivalSthan #MyRajasthan pic.twitter.com/kzEI80AoK7
— Rajasthan Tourism (@my_rajasthan) December 4, 2018
कई लोग गुलाबो सपेरा को ‘डायन’ तक बुलाते थे क्योंकि वह जमीन से जिंदा निकली थीं और फिर थोड़ी बड़ी होने पर नाचना शुरू कर दिया था। इसका जिक्र गुलाबो ने एक इंटरव्यू में किया था। गुलाबो के पिता गांव-गांव घूमकर सांप नचाते थे। तब गुलाबो ने भी उनके साथ नाचना शुरू कर दिया और पिता के साथ गांव-गांव जानकर कालबेलिया डांस करने लगीं। वह सांपों का अपने शरीर से लपेटकर खूब नाचतीं।
गुलाबो सपेरा की जिंदगी तब पलट गई, जब 80 के दशक में वह पुष्कर में एक मेले के दौरान नाच रही थीं और तब वहां उनके डांस को देख सब हैरान रह गए। वहीं गुलाबो को एक कार्यक्रम में परफॉर्म करने का मौका मिला। इसके बाद तो गुलाबो सपेरा ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने लंदन से लेकर अमेरिका तक में परफॉर्म किया।